Thursday, February 16, 2017

नैनो सैटेलाइट क्या होते हैं?

नैनो सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले लघु उपग्रहों को कहते हैं. सामान्यतः 500 किलोग्राम से छोटे सैटेलाइट को नैनो की परिभाषा में रखा जाता है. इन छोटे उपग्रहों की अपनी भूमिका है. मसलन अंतरिक्ष के अनेक बिन्दुओं से जानकारी एकत्र करनी हो तो अनेक उपग्रहों की जरूरत होगी. ऐसे में एक बड़े वज़नी उपग्रह के बजाय अनेक छोटे उपग्रहों की सेवाएं ली जाती हैं. कई बार बड़े उपग्रहों की निगरानी के लिए भी इनकी जरूरत होती है. विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को उपग्रह विज्ञान की बुनियादी जानकारी देने के लिए भी इनका इस्तेमाल होता है.
हाल के वर्षों में 1 से 50 किलो वज़न के उपग्रहों का चलन बढ़ा है. एक अनुमान है कि अब से सन 2020 के बीच दुनिया में 500 से ज्यादा उपग्रह इस वर्ग में प्रक्षेपित होंगे. अब अंतरिक्ष प्रक्षेपण कम्पनियाँ छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण में अलग से विशेषज्ञता प्राप्त करने की कोशिश कर रहीं है। भारत का पीएसएलवी हालांकि माध्यमिक भार के उपग्रहों के लिए बनाया गया है, पर उसने बड़ी संख्या में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण का कार्य करके अपनी उपादेयता साबित की है. अमेरिका की संस्था वर्जिन गैलेक्टिक ने लांचरवन नाम से रॉकेट तैयार किया है जो 100 किलोग्राम तक के वज़न के उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है. आने वाले समय में 1 से 10 किलो वज़न के उपग्रहों की संख्या भी बढ़ेगी, जिन्हें माइक्रो सैटेलाइट कहते हैं.
अंतरिक्ष में भेजा सबसे भारी यान कौन सा है?
इस वक्त पृथ्वी की कक्षा में धरती से भेजा गया सबसे भारी उपग्रह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन है, जिसका वज़न 4,19,455 किलोग्राम है. इस पूरे स्पेस स्टेशन को एकसाथ अंतरिक्ष में नहीं भेजा गया है. इसके सबसे पहले हिस्से को सन 1998 में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था. तबसे  सामान्यतः यह स्टेशन धरती से सामान्यतः 330 से 435 किलोमीटर की दूरी पर रहते हुए अपनी परिक्रमा पूरी करता है. यह हर रोज धरती के 15.54 चक्कर पूरे करता है।
डॉक्टर के पर्चे में BD और OD का मतलब क्या होता है?
डॉक्टर के नुस्खे में कई तरह के संकेत संक्षेप में लिखे होते हैं, जो मूल रूप से लैटिन संकेताक्षर हैं. इनमें से सामान्यतः सबसे ज्यादा BD, OD और TDS का इस्तेमाल होता है. OD का लैटिन में पूरा रूप है ओम्नी डाय. जिसे अंग्रेजी में कहेंगे वंस ए डे यानी दिन में एकबार. BD यानी बिस इन डाय यानी दिन में दो बार. TDS का मतलब है टर्डी सुमेंडम माने दिन में तीन बार. QID माने क्वार्टर इन डाय यानी दिन में चार बार. Q2H मतलब हरेक दो घंटे में. इसी तरह SOS का मतलब है सी ओपस सिट माने जरूरत पड़ने पर. जैसे दर्द हो वगैरह.
हावड़ा ब्रिज का निर्माण कब हुआ?
देश में अंग्रेज सरकार ने सन् 1871 में हावड़ा ब्रिज एक्ट पास किया, पर योजना बनने में बहुत वक्त लगा. पुल का निर्माण सन् 1937 में ही शुरू हुआ और सन् 1942 में यह बनकर पूरा हुआ. इसे बनाने में 26,500 टन स्टील की खपत हुई. इसके पहले हुगली नदी पर तैरता पुल था. पर नदी में पानी बढ़ जाने पर इस पुल पर जाम लग जाता था. इस ब्रिज को बनाने का काम जिस ब्रिटिश कंपनी को सौंपा गया उससे यह ज़रूर कहा गया था ‍कि वह भारत में बने स्टील का इस्तेमाल करेगा. टिस्क्रॉम नाम से प्रसिद्ध इस स्टील को टाटा स्टील ने तैयार किया. इसके इस्पात के ढाँचे का फैब्रिकेशन ब्रेथवेट, बर्न एंड जेसप कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने कोलकाता स्थित चार कारखानों में किया. 1528 फुट लंबे और 62 फुट चौड़े इस पुल में लोगों के आने-जाने के लिए 7 फुट चौड़ा फुटपाथ छोड़ा गया था. सन् 1943 में इसे आम जनता के उपयोग के लिए खोल दिया गया. हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाला हावड़ा ब्रिज जब बनकर तैयार हुआ था तो इसका नाम था न्यू हावड़ा ब्रिज. 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम रवींद्र सेतु कर दिया गया पर प्रचलित नाम फिर भी हावड़ा ब्रिज ही रहा.
जैरॉक्स मशीन की खोज किसने की?
जैरॉक्स कॉरपोरेशन ग्लोबल डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट कम्पनी है. यह 1906 में बनी थी. तब इसका नाम हैलॉइड फोटोग्राफिक कम्पनी था. यह फोटोग्राफिक पेपर और फोटोग्राफी के अन्य उपकरण बनाती थी. 1958 में इस कम्पनी का नाम हैलॉइड जैरॉक्स कॉरपोरेशन हो गया और 1961 में सिर्फ जैरॉक्स. इस कम्पनी ने 1961 में जैरॉक्स 914 के नाम से दुनिया का पहला प्लेन पेपर कॉपियर बनाया. यह एक प्रकार की क्रांति थी. इसने फोटोकॉपी या जैरोग्राफी का एक नया संसार खोल दिया. इसके बाद तमाम कम्पनियों ने पेपर कॉपियर बनाए, पर हम लोग सबको जैरॉक्स बोलते हैं.
भारत में स्पीड पोस्ट सेवा  
भारत में स्पीड पोस्ट सेवा 1 अगस्त, 1986 को शुरू की गई थी. इस सेवा के अंतर्गत पत्रों, दस्तावेजों और पार्सलों की डिलीवरी एक निश्‍चित अवधि के भीतर  की जाती है. यह सेवा अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भी 97 देशों में उपलब्ध है. इंटरनेट आधारित ट्रैक एंड ट्रेस सर्विस स्‍पीड नेट 3 जनवरी, 2002 को शुरू की गई.
श्री और सर्वश्री

श्री एक व्यक्ति के लिए इस्तेमाल होगा. मसलन श्री राजीव कुमार. जब हम कई नाम एकसाथ लिखें तो शुरू में सर्वश्री लिखकर काम चलाते हैं. आशय है कि सभी श्री. मसलन सर्वश्री रमेश, सुरेश, महेश और राकेश.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और दादा साहेब फाल्के में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...