Friday, June 26, 2015

हिंदी को खड़ी बोली क्यों कहा जाता है?


हिन्दी को खड़ी बोली नहीं कहा जाता, बल्कि कहा यह जाता है कि आज की जो मानक हिन्दी है वह खड़ी बोली से निकली है. खड़ी बोली पश्चिम रूहेलखंड, गंगा के उत्तरी दोआब तथा अंबाला के आसपास के इलाकों की उपभाषा है जो ग्रामीण जनता के द्वारा मातृभाषा के रूप में बोली जाती है. इसे कौरवी भी कहते हैं. कौरवों की बोली. इस इलाके में रामपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, देहरादून का मैदानी भाग, अंबाला तथा कलसिया और भूतपूर्व पटियाला रियासत के पूर्वी भाग आते हैं. मुसलमानी प्रभाव के निकटतम होने के कारण इस बोली में अरबी फारसी के शब्दों का व्यवहार हिंदी प्रदेश की अन्य उपभाषाओं की अपेक्षा अधिक है. इससे ही उर्दू निकली. हिन्दी में ब्रज, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, मागधी वगैरह बोलियाँ हैं. खड़ी बोली अनेक नामों से पुकारी गई है, जैसे हिंदुई, हिंदवी, दक्खिनी, दखनी या दकनी, रेखता, हिंदोस्तानी, हिंदुस्तानी आदि. डॉ. ग्रियर्सन ने इसे वर्नाक्युलर हिंदुस्तानी तथा डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी ने इसे जनपदीय हिंदुस्तानी का नाम दिया है. डॉ. चटर्जी खड़ी बोली के साहित्यिक रूप को साधु हिंदी या नागरी हिंदी कहते थे और डॉ. ग्रियर्सन ने इसे हाई हिंदी का नाम दिया. अनेक विद्वान खड़ी का अर्थ सुस्थित, प्रचलित, सुसंस्कृत, परिष्कृत या परिपक्व ग्रहण करते हैं. खड़ी बोली को खरी बोली भी कहा गया है. 

किस देश के डाक टिकट पर देश का नाम नहीं होता?
यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड के डाक टिकटों पर देश का नाम नहीं होता. इसकी वजह यह है कि इन देशों में ही डाक टिकटों की शुरूआत हुई थी और इन्होंने तब अपने देशों के नाम टिकट पर नहीं डाले थे. यह परम्परा अब भी चली आ रही है. अलबत्ता इन टिकटों पर देश के राजतंत्र की छवि ज़रूर होती है.

पश्चिम बंगाल राज्य भारत के पूर्वी भाग में स्थित है तो यह पश्चिमी बंगाल कैसे है? पूर्वी बंगाल क्यों नहीं?
आज हम जिसे पश्चिम बंगाल कहते हैं वह समूचे बंगाल का एक हिस्सा है. सन 1757 की प्लासी लड़ाई में ईस्ट इंडिया कम्पनी की जीत से अंग्रेजी शासन को बुनियादी आधार मिला. अंग्रेजी शासन ने शुरू में कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया. बीसवीं सदी के प्रारम्भ में वायसराय लॉर्ड कर्जन ने प्रशासनिक कारणों से बंगाल को दो हिस्सों में बाँटने का फैसला किया. इसके पीछे जो भी कारण रहा हो, पर यह स्पष्ट था कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र पूर्वी बंगाल बना और हिन्दू बहुल क्षेत्र पश्चिमी बंगाल. 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन हुआ. बंग भंग की इस कारवाई ने भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन की चिंगारी जला दी. विभाजन का भारी विरोध हुआ, पर वह टला नहीं. सन 1906 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने आमार शोनार बांग्ला... गीत लिखा, जो सन 1972 में बांग्लादेश का राष्ट्रगीत बना. बहरहाल 1947 में देश के विभाजन के बाद भी बंगाल विभाजित रहा. पूर्वी बंगाल, पूर्वी पाकिस्तान बना और पश्चिमी बंगाल भारत में रहा. वह नाम अबतक चला आ रहा है.

ईद का चाँद माने क्या?
ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेंडर के शव्वाल यानी दसवें महीने के पहले दिन मनाई जाती है. रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है. इस्लामी साल में दो ईदों में से यह एक है(दूसरी ईद उल जुहा या बकरीद कहलाती है). ईद का चाँद काफी हल्का दिखाई पड़ता है और एक लम्बे इंतज़ार के बाद आता है, इसलिए ईद का चाँद हो जाना मुश्किल में दिखाई पड़ना के अर्थ में मुहावरा भी हो गया है.

मुस्लिम धर्म से जुड़े त्योहारों की तिथियां किस प्रकार निर्धारित की जाती हैं?
मुस्लिम पर्वों की काल-गणना इस्लामिक कैलेंडर के आधार पर होती है. इसे हिज़री या इस्लामी पंचांग कहते हैं. यह चंद्र काल गणना पर आधारित पंचांग है. पूरी दुनिया के मुसलमान अपने धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसकी मदद लेते हैं. इस पंचांग में साल में बारह महीने होते हैं. इन बारह महीनों में 354 या 355 दिन होते हैं. यह सौर पंचांग से 11 दिन छोटा होता है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ आमतौर पर सौर पंचांग के मुकाबले हर साल 11 दिन पीछे हो जाती हैं. इसे हिज़रा या हिज़री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें हज़रत मुहम्मद की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज़्रत (प्रवास) हुई थी. इस पंचांग के अनुसार महीनों के नाम हैं 1.मुहर्रम, 2.सफ़र, 3.रबीउल अव्वल, 4.रबीउल आख़िर, 5.जमादी-उल-अव्वल, 6.जमादी-उल-आख़िर, 7.रजब, 8.शाबान, 9.रमज़ान, 10.शव्वाल, 11.ज़िलक़ाद, 12.ज़िलहिज्ज।
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Sunday, June 21, 2015

ओलिम्पिक खेलों के गोल्ड मेडल में कितना प्योर गोल्ड होता है?


पहले यह बताना बेहतर होगा कि 1896 और 1900 के ओलिम्पिक खेलों में गोल्ड मेडल नहीं दिए गए। उनमें चाँदी और ताँबे के मेडल क्रमशः विजेता और उप-विजेता को दिए गए। 1904 में अमेरिका के मिज़ूरी ओलिम्पिक में तीन मेडल का चलन शुरू हुआ। ओलिम्पिक के गोल्ड मेडल का आकार, डिजाइन और वज़न बदलता रहता है। लंदन ओलिम्पिक में काफी बड़े आकार के मेडल दिए गए जो 85 मिमी व्यास के थे। इनकी मोटाई 7 मिमी थी। सन 2016 में ब्राज़ील के रियो डि जेनेरो में होने वाले ओलिम्पिक खेलों के लिए 4,924 मेडल तैयार करने का काम वहाँ के सिक्के ढालने वाली सरकारी टकसाल को यह काम दिया गया है। अभी मेडल के साइज़ और वज़न की सूचना नहीं है। मेडल तैयार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक कमेटी के मोटे निर्देशों के अनुसार सोने का मेडल भी चाँदी में ढाला जाता है और उसके ऊपर लगभग 6 ग्राम सोने की प्लेटिंग होती है। चाँदी का मेडल .925 शुद्धता की चाँदी को होता है और कांस्य पदक में ताँबे, टिन और ज़स्ते की मिलावट होती है।

क्या रेलगाड़ी के इंजन में टॉयलेट होते हैं?
भारतीय रेलवे के इंजनों में अभी तक टॉयलेट नहीं होते थे। पर अब अमेरिकन कम्पनी इलेक्ट्रोमोटिव डीजल और भारतीय रेलवे के अनुसंधान, विकास एवं अभिकल्प संस्थान आरडीएसओ ने मिलकर डब्ल्यूडीजी 5 नाम से जो इंजन तैयार किया है उसमें एयरकंडीशनिंग और टॉयलेट की सुविधाएं हैं जो इंजन चलाने वालों की दिक्कतों को कम करेंगे। अभी बड़े स्तर पर इंजनों में टॉयलेट नहीं लगे हैं। भारतीय रेलगाड़ियों के सवारी डिब्बों में अभी तक ओपन टाइप टॉयलेट होते हैं जो ट्रैक को खराब करते हैं। पिछले दो साल से रेलवे बजट में कोचों में बायो टॉयलेट लगाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह काम अभी धीमी गति से चल रहा है।

केसर क्या होता है?
केसर वनस्पति है और उसकी खेती होती है। भारत की केसर दुनिया में सबसे अच्छी मानी जाती है। भारत में केवल जम्मू-कश्मीर में ही केसर की खेती होती है। कश्मीर के अंवतीपुरा के पंपोर और जम्मू संभाग के किश्तवाड़ इलाके में केसर की खेती की जाती है। केसर बोने के लिए खास जमीन की आवश्यकता होती है। ऐसी जमीन जहां बर्फ पड़ती हो और जमीन में नमी मौजूद रहती हो। जिस जमीन पर केसर बोयी जाती है वहां कोई और खेती नहीं की जा सकती। कारण, केसर का बीज हमेशा जमीन के अंदर ही रहता है। इस बीज को निकाल कर उसमे दवाइयाँ और खाद मिलाकर फिर से बोया जाता है। यह बुआई जुलाई-अगस्त में की जाती है। केसर के फूल अक्टूबर-नवंबर में खिलने लगते हैं। जमीन में जितनी ज्यादा नमी होगी, केसर की पैदावार भी उतनी ही ज्यादा होगी। केसर का फूल नीले रंग का होता है। नीले फूल के भीतर पराग की पांच पंखुड़ियां होती हैं। इनमें तीन केसरिया रंग की और बीच की दो पंखुड़ियां पीले रंग की। केसरिया रंग की पंखुड़िया ही असली केसर कही जाती हैं,।

मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी का नाम क्या है?
मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स है, जो कान में होती है। उसकी लंबाई 2।5 मिलीमीटर होती है। सबसे लम्बी हड्डी फीमर बोन यानी जाँघ की हड्डी 19-20 इंच तक होती है।राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Friday, June 19, 2015

कम्प्यूटर की ईज़ाद किसने की और कब?

कम्पयूटर वस्तुतः ऐसी मशीन है, जिसे प्रोग्राम किया जा सके और जो दी गई गणितीय तथा तार्किक क्रियाओं को क्रम से अपने आप करने में समर्थ हो. मशीन से हिसाब किताब कई सदियों पहले से होता रहा है, पर हम आज बिजली से चलने वाले जिस कम्प्यूटर से परिचित हैं, वह बीसवीं सदी की देन है. तब से अब तक यह साइज़ में  छोटा काम में काफी तेज़ होता चला गया है. पहले इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर ब्रिटेन और अमेरिका में 1940 और 1945 के बीच विकसित किए. वे एक बड़े कमरे के आकार के थे,जो की कई सौ आधुनिक पर्सनल कम्प्यूटरों के बराबर बिजली खाते थे और काम आज के मामूली कम्प्यूटर से भी कम करते थे. संगणक (पीसी) के बराबर शक्ति की खपत करते थे. आपका सवाल है इसे किसने और कब ईज़ाद किया. इसका जवाब देने के पहले यह समझना ज़रूरी है कि आपका आशय किस कम्प्यूटर से है. अलबत्ता सन 1837 में गणित के एक ब्रिटिश प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज ने एक एनैलिटिकल एंजिन का आइडिया दिया, जो स्टीम एंजिन से चलता और जो पंचकार्ड का इस्तेमाल करके मिकेनिकल करघों का काम प्रोग्राम करता. पैसे की कमी से और कुछ दूसरे कारणों से यह मशीन नहीं बनी, जबकि सिद्धांततः वह बन सकती थी. सन 1939 में अमेरिका की आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में जॉन वी एटेनासॉफ और क्लिफर्ड बैरी ने मिलकर एटेनासॉफ-बैरी कम्प्यूटर (एबीसी), जिसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर कह सकते हैं. फिर भी सन 1943 में अमेरिका में बने इलेक्ट्रॉनिक न्यूमैरिकल इंटीग्रेटर एंड कम्प्यूटर यानी एनियैक को पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर कह सकते हैं. तबसे विकास होता जा रहा है.
बॉलीवुड शब्द कब अस्तित्व में आया? इसे किसने शुरू किया?
बॉलीवुड में बॉ अक्षर बॉम्बे से लिया गया है, जो एक ज़माने में मुम्बई का नाम होता था. और हॉलीवुड से हॉ हटाकर बॉलीवुड बना लिया गया. यह शब्द सत्तर के दशक से इस्तेमाल हो रहा है, पर इसे लोकप्रियता नब्बे के दशक में मिली जब हमारे देश ने बाहर देखना शुरू किया. तब तक हम हिन्दी सिनेमा का प्रयोग ही करते थे. पिछले साल सलमान खान ने ट्वीट किया था कि मुझे बॉलीवुड शब्द पसंद नहीं. अमिताभ बच्चन भी इसके कायल नहीं. पर यह चल रहा है. यह भी सच है कि कोलकाता के बांग्ला सिनेमा को 1932 के आसपास टॉलीवुड कहना शुरू कर दिया गया था. उसकी वजह थी टॉलीगंज जहाँ ज्यादातर स्टूडियो थे.
नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन कब बना था?
नई दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला 1911 में होने के बाद नए निर्माण कार्य शुरू हुए. नए वायसरॉय भवन का काम सन1912 में शुरू हुआ और वह 1929 में बनकर तैयार हुआ. यही वायसरॉय भवन 1947 के बाद राष्ट्रपति भवन कहलाया.
कहते हैं कि मुम्बई शहर दहेज में आया था. क्या यह सच है?-
मुम्बई या बॉम्बे का माहिम वाला इलाका तकरीबन एक हजार साल पहले बस गया था. 1348 में मुस्लिम सेनाओं ने इस द्वीप को जीत लिया और यह गुजरात राज्य का हिस्सा बन गया. इसके बाद पुर्तगालियों ने सन 1507 में इस इलाके को जीतने की कोशिश की, पर वह सफल नहीं हुई. लेकिन 1534 में गुजरात के शासक सुल्तान बहादुरशाह ने यह द्वीप पुर्तग़ालियों को एक समझौते के तहत सौंप दिया. 1661 में इंग्लैंड के किंग चार्ल्स द्वितीय व पुर्तगाल के राजा की बहन कैथरीन ऑफ़ ब्रैगेंज़ा के विवाह के बाद यह एक तरह से पुर्तगालियों ने यह तोहफे के तौर पर अंग्रेजों को सौंप दिया. राजा ने इसे 1668 में ईस्ट इंडिया कम्पनी को सौंप दिया.
आइसक्रीम सबसे पहले किसने बनाई, और सबसे ज्यादा आइसक्रीम की खपत कहां होती है?
ईसा से 400 साल पहले फारस में गुलाबजल में फालूदा और फलों को मिलाकर जमाने का चलन था. फालूदा शब्द फारस से ही आया है. तकरीबन उसी जमाने में चीन में दूध और चावल के मिश्रण को जमाकर ठंडी मिठाई का चलन था. ज्यादातर प्राचीन सभ्यताओं ने बर्फ जमाना और उसके व्यंजन बनाना सीख लिया था. आइसक्रीम की सबसे ज्यादा खपत अमेरिका में है जहाँ औसतन एक व्यक्ति साल भर में 23 लिटर आइसक्रीम खाता है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं जहाँ 18 से 20 लिटर आइसक्रीम खाई जाती है. 
रेनबो डाइट क्या होती है?
रेनबो डाइट का शाब्दिक अर्थ है इन्द्रधनुषी डाइट. यानी इन्द्रधनुष के रंगों का भोजन. व्यावहारिक मतलब है तरह-तरह के रंगों के फलों और सब्जियों का भोजन जो स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन होता है. फलों और सब्जियों के तमाम रंग होते हैं और हर रंग का अपना गुण होता है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Thursday, June 11, 2015

सुपरकंप्यूटर का आविष्कार कब व कहां हुआ? भारत में इसका प्रयोग कब शुरू हुआ?

आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगाफ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है. सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में एक अरब गणनाएं कर सकता है. इसकी गति को मेगा फ्लॉप से नापते है. सुपरकंप्यूटरों की शुरूआत साठ के दशक से मानी जा सकती है. अमेरिका के कंट्रोल डेटा कॉरपोरेशन के इंजीनियर सेमूर क्रे ने सबसे पहले सुपर कंप्यूटर बनाया. बाद में क्रे ने अपनी कम्पनी क्रे रिसर्च बना ली. यह कम्पनी सुपर कंप्यूटर बनाने के क्षेत्र में एक दौर तक सबसे आगे थी. आज भी क्रे के अलावा आईबीएम और ह्यूलेट एंड पैकर्ड इस क्षेत्र में शीर्ष कम्पनियाँ हैं. पर हाल में जापान और चीन इस मामले में काफी तेजी से आगे बढ़े हैं. 1980 के अंतिम दशक में भारत को अमेरिका ने क्रे सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था. वह एक ऐसा दौर था, जब भारत और चीन में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी. भारतीय वैज्ञानिकों ने सी-डेक परम-8000 कंप्यूटर बनाकर अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया. अब भारत पेटा फ्लॉप क्षमता का सुपर कंप्यूटर भी बना रहा है.

हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह पर लिखा ‘सत्यमेव जयते’ कहां से लिया गया है? पूरा मंत्र क्या है और उसका अर्थ क्या है?
‘सत्यमेव जयते’ मूलत: मुण्डक उपनिषद का मंत्र 3.1.6 है. पूरा मंत्र इस प्रकार है:- 
सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयान:। 
येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम्।। 
अर्थात आखिरकार सत्य की जीत होती है न कि असत्य की. यही वह राह है जहाँ से होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. सत्यमेव जयते को स्थापित करने में पं मदनमोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

तीसरी दुनिया के देश कौन-कौन से हैं? यह नाम किस तरह पड़ा?
तीसरी दुनिया शीतयुद्ध के समय का शब्द है. शीतयुद्ध यानी मुख्यतः अमेरिका और रूस का प्रतियोगिता काल. फ्रांसीसी डेमोग्राफर, मानव-विज्ञानी और इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने 14 अगस्त 1952 को पत्रिका ‘ल ऑब्जर्वेतो’ में प्रकाशित लेख में पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल किया था. इसका आशय उन देशों से था जो न तो कम्युनिस्ट रूस के साथ थे और न पश्चिमी पूँजीवादी खेमे के नाटो देशों के साथ थे. इस अर्थ में गुट निरपेक्ष देश तीसरी दुनिया के देश भी थे. इनमें भारत, मिस्र, युगोस्लाविया, इंडोनेशिया, मलेशिया, अफगानिस्तान समेत एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के तमाम विकासशील देश थे. यों माओत्से तुंग का भी तीसरी दुनिया का एक विचार था. पर आज तीसरी दुनिया शब्द का इस्तेमाल कम होता जा रहा है.

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में ‘डीसी’ क्या है?
वॉशिंगटन डीसी का अर्थ है वॉशिंगटन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलम्बिया. अमेरिकी संविधान के अनुसार संघीय राजधानी एक अलग डिस्ट्रिक्ट के रूप में बनाई जा सकती है, जो किसी राज्य का हिस्सा न हो. यह शहर जॉर्ज वॉशिंगटन की स्मृति में बसाया गया है. अमेरिका में एक राज्य भी वॉशिंगटन है. उसका वॉशिंगटन डीसी से कोई सम्बन्ध नहीं है.

अमेरिका और युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में क्या फर्क है?
अमेरिका एक महाद्वीप का नाम है जो दो बड़े उप महाद्वीपों में बँटा है. एक है उत्तरी अमेरिका और दूसरा दक्षिणी अमेरिका. अमेरिकी महाद्वीप में अनेक देश हैं. उनमें एक है युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका. यह उत्तरी अमेरिका में है. अक्सर हम यूएसए और अमेरिका को एक मान लेते हैं.

मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी का नाम क्या है?
मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स है, जो कान में होती है. उसकी लंबाई 2.5 मिलीमीटर होती है. सबसे लम्बी हड्डी फीमर बोन यानी जाँघ की हड्डी 19-20 इंच तक होती है.

इंजेक्शन द्वारा दवाई देना कब से शुरू हुआ?
शरीर में चोट लगने पर दवाई सीधे लगाने की परम्परा तो काफी पुरानी है. शरीर में अफीम रगड़कर या किसी कटे हुए हिस्से में अफीम लगाकर शरीर को राहत मिल सकती है सा विचार भी पन्द्रहवीं सोलहवीं सदी में बन गया था. अफीम से कई रोगों का इलाज किया जाने लगा, पर डॉक्टरों को लगता था कि इसे खिलाने से लत पड़ सकती है. इसलिए शरीर में प्रवेश का कोई तरीका खोजा जाए. स्थानीय एनिस्थीसिया के रूप में भी मॉर्फीन वगैरह का इस्तेमाल होने लगा था. ऐसी सुई जिसके भीतर खोखला बना हो सोलहवीं-सत्रहवीं सदी से इस्तेमाल होने लगी थी. पर सबसे पहले सन 1851 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक चार्ल्स गैब्रियल प्रावाज़ ने हाइपोडर्मिक नीडल और सीरिंज का आविष्कार किया. इसमें महीन सुई और सिरिंज होती थी. तबसे इसमें तमाम तरह के सुधार हो चुके हैं.

Monday, June 8, 2015

सूर्य सबसे पहले किस देश में निकलता है?

इस सवाल का जवाब समझना आसान नहीं है, क्योंकि धरती घूमती रहती है। इसलिए सबसे पहले कौन सा इलाका सूर्य के सामने आता है कहना मुश्किल है। बहरहाल मनुष्य ने धरती को अक्षांश, देशांतर के मार्फत विभाजित किया है। साथ ही पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाएं भी तय की हैं। धरती के गोले पर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जो काल्पनिक देशांतर रेखाएं हैं, उनमें जो देश सुदूर पूर्व में 180 देशांतर पर पड़ेंगे, वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मानना चाहिए।
दुनिया को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित किया है। इस टाइम ज़ोन से तय होता है कि सबसे पहले सूर्योदय किस देश में होता है। सामान्यतः हम मानते हैं कि दुनिया में जापान का मिनामी तोरीशीमा धुर पूर्व में है। इसलिए वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मान सकते हैं। दूसरा तरीका यह है कि डेटलाइन को आधार मानें। ग्रीनविच मीन टाइम को यदि हम आधार मानते हैं तो जापान के समय में नौ घंटे जोड़ने होंगे। यानी जब ग्रीनविच मीन टाइम शून्य यानी रात के बारह बजे होंगे तब जापान में सुबह के नौ बजे होंगे। वास्तव में जीएमटी से ठीक बारह घंटे का फर्क फिजी, तुवालू, न्यूजीलैंड और किरिबाती के मानक समय में है, जबकि इन सबकी स्थिति में फर्क है। इस लिहाज से दुनिया का सबसे पूर्व में स्थित क्षेत्र किरिबाती का कैरलिन द्वीप है, जहाँ के सूर्योदय को धरती का पहला सूर्योदय मान सकते हैं।

स्टार्ट-अप कम्पनी क्या है?
यह नई संस्कृति का शब्द है। नयापन, अभिनव, नवोन्मेष और नवाचार से मिलता-जुलता शब्द है स्टार्ट-अप। अंग्रेजी में इसके माने हैं नवोदय या अचानक उदय होना, उगना, आगे बढ़ना वगैरह। इसके कारोबारी माने हैं नए और अनजाने बिजनेस मॉडल की खोज। यानी नए किस्म के कारोबार में जुड़ी नई कम्पनियों को स्टार्ट-अप कम्पनी कहते हैं। भारत में ई-रिटेल और इंटरनेट से जुड़ी ज्यादातर नई कम्पनियाँ स्टार्ट-अप हैं। इनकी तकनीक नई है और मालिक और प्रबंधक भी नए किस्म के हैं। उनका काम करने का तरीका नया है। यह शब्द बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में डॉट-कॉम ‘बूम’ और ‘बबल’ के वक्त ज्यादा लोकप्रिय हुआ।

सामाजिक दृष्टि से भारत में यह नया चलन है। अमेरिका में बिजनेस प्लान करना, नयी कम्पनी बनाना, उसके मार्फत भारी सफलता पाने का चलन पहले से है। अमेरिका के बिजनेस और इंजीनियरी संस्थानों से निकल कर छात्र कारोबार शुरू करने के बारे में सोचता है। इस चलन के समानांतर एक नई संस्कृति का जन्म हो रहा है, जिसे स्टार्ट-अप कल्चर नाम मिला है।

भारत में अभी तक नौजवान नौकरी को वरीयता देते हैं। अब स्थितियाँ बदल रहीं हैं। अब तक की समझ है कि कारोबार में जोखिम है। कम उम्र में जोखिम उठाया जा सकता है, यही इस संस्कृति का मूल मंत्र है। माना जा रहा है कि संपन्नता उन्हीं के पास आती है, जो जोखिम उठाते हैं। परम्परागत व्यवसाय की जगह नए कारोबार के आविष्कार में फायदे की गुंजाइश भी ज्यादा है। परम्परागत तरीके से 10 से 15 फीसदी फायदा मिलता है, जबकि नवोन्मेष से 85 फीसदी या उससे भी ज्यादा फायदा मिलता है।

भारत में सबसे पहले ई-मेल कब?

15 अगस्त 1995 को भारत के विदेश संचार निगम ने देश में इंटरनेट सेवा की शुरूआत की। तभी से मेल सेवा भी शुरू हुई।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, June 4, 2015

ध्रुवतारा हमेशा एक ही जगह पर नजर आता है. दूसरे तारों की तरह उसकी जगह क्यों नहीं बदलती?

ध्रुवतारे की स्थिति हमेशा उत्तरी ध्रुव पर रहती है. इसलिए उसका स्थान नहीं बदलता. बदलता भी है तो वह इतना मामूली होता है कि अंतर समझ में नहीं आता. पर सच यह है कि हजारों साल बाद इसकी स्थिति बदल जाएगी. वास्तव में यह एक तारा नहीं है, बल्कि तारामंडल है, जिसमें छह मुख्य तारे हैं. यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से 45वाँ सब से चमकदार तारा है, और पृथ्वी से लगभग 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. इसका मुख्य तारा (ध्रुव ‘ए’) एफ-7 श्रेणी का महा दानव तारा है. इसकी चमक सूरज की चमक से 2200 गुना ज्यादा है. इसका द्रव्यमान हमारे सूरज के द्रव्यमान का लगभग 7.5 गुना और व्यास हमारे सूरज के व्यास का 30 गुना है. इसके साथ ही ध्रुव ‘बी’  सूरज के द्रव्यमान से लगभग डेढ़ गुना एफ3वी श्रेणी का तारा ध्रुव ‘ए’ की 2400 खगोलीय इकाइयों (एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है. धरती से सूरज की दूरी को एक एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट माना जाता है.

धरती के अपनी धुरी पर घूमते वक्त यह उत्तरी ध्रुव की सीध में होने के कारण हमेशा उत्तर में दिखाई पड़ता है. इस वक्त जो ध्रुव तारा है उसका अंग्रेजी में नाम ‘उर्सा माइनर’ तारामंडल है. जिस जगह ध्रुव तारा है उसके आसपास के तारों की चमक कम है इसलिए यह कुछ ज्यादा चमकता प्रतीत होता है. धरती अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर परिक्रमा करती है, इसलिए ज्यादातर तारे पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए नज़र आते हैं. चूंकि ध्रुव तारा सीध में केवल मामूली झुकाव के साथ उत्तरी ध्रुव के ऊपर है इसलिए उसकी स्थिति हमेशा एक जैसी लगती है.

स्थिति बदलती भी है तो वह इतनी कम होती है कि फर्क दिखाई नहीं पड़ता. पर यह स्थिति हमेशा नहीं रहेगी. हजारों साल बाद यह स्थिति बदल जाएगी, क्योंकि मंदाकिनियों के विस्तार और गतिशीलता की वजह से धरती और सौरमंडल की स्थिति बदलती रहती है. यह बदलाव सौ-दो सौ साल में भी स्पष्ट नहीं होता. आज से तीन हजार साल पहले उत्तरी ध्रुव तारा वही नहीं था जो आज है. उत्तर की तरह दक्षिणी ध्रुव पर भी तारामंडल हैं, पर वे इतने फीके हैं कि सामान्य आँख से नज़र नहीं आते.

भारतीय रेलवे की सबसे लंबी यात्रा कहाँ से कहाँ तक है?
भारतीय रेलवे की सबसे लंबी यात्रा डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस से तय की जाती है. डिब्रूगढ़ असम में है और कन्याकुमारी तमिलनाडु में. यह गाड़ी 4283 किलोमीटर का सफर 84 घंटा 45 मिनट में पूरा करती है. इस दौरान यह छह राज्यों के 57 स्टेशनों पर रुकती है. स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जयंती पर यह ट्रेन 20 नवम्बर 2011 से शुरू की गई थी.

हेलीकॉप्टर की पंखड़ी ऊपर होती है और हवाई जहाज़ की सामने, जबकि दोनों एक ही काम करते हैं। ऐसा क्यों?
दोनों हवा में उड़ने का काम करते हैं, पर दोनों के सिद्धांत अलग होते हैं. हेलीकॉप्टर के पंखे रोटर कहलाते हैं जो घूमते हैं. हवाई जहाज के पंख बाईं और दाईं ओर होते हैं और स्थिर रहते हैं। घूमते नहीं हैं। हवाई जहाज अपने पंखों के सहारे हवा में तैरता है और उसके इंजन उसे आगे ले जाते हैं. हेलीकॉप्टर के रोटर उसे ऊपर उठाने और आगे पीठे ले जाने का काम भी करते हैं. हेलीकॉप्टर आगे-पीछे और दाएं बाएं जा सकता है. एक जगह रुका भी रह सकता है. हवाई जहाज ऐसा नहीं कर सकता है. वह सीधा चलता है और उसे दाएं या बाएं जाने के लिए घूमना पड़ता है. उसके सामने लगे प्रोपेपलर ब्लेड उसे आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. हवाई जहाज का इंजन हवा खींचकर उसे पीछे की ओर फेंकता है तो वह आगे बढ़ता. पंखों पर हवा के दबाव से वह ऊपर उठता है.

पिनकोड किस तरह तरह बनाए गए हैं?
पिनकोड यानी पोस्टल इंडेक्स नम्बर भारतीय डाकव्यवस्था के वितरण के लिए बनाया गया नम्बर है. छह संख्याओं के इस कोड में सबसे पहला नम्बर क्षेत्रीय नम्बर है. पूरे देश को आठ क्षेत्रीय और नवें फंक्शनल जोन में बाँटा गया है. इसमे दूसरा नम्बर उप क्षेत्र का नम्बर है. तीसरा नम्बर सॉर्टिंग डिस्ट्रिक्ट का नम्बर है. अंतिम तीन संख्याएं सम्बद्ध डाकघरों से जुड़ी हैं. दिल्ली को शुरूआती नम्बर मिला है 11. 12 और 13 नम्बर हरियाणा को मिले हैं, 14, 15 नम्बर पंजाब को इसी तरह 20 से 28 नम्बर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को मिले हैं. बिहार और झारखंड को 80 से 85 नम्बर मिले हैं. किसी एक शहर या जिले में नम्बर बनाने का तरीका दिल्ली में देखा जा सकता है. यहाँ के आठ जिलों के पिनकोड भौगोलिक स्थित के अनुसार बाँटे गए हैं. नई दिल्ली के कनॉट प्लेट, बंगाली मार्केट के आसापास के इलाकों के नम्बर 110001 से शुरू होते हैं, मिंटो रोड, अजमेरी गेट और दरियागंज वगैरह का नम्बर है 110002, इसके बाद लोदी रोड, सफदरगंज एयरपोर्ट और पंडारा रोड वगैरह का नम्बर है 110003. अंत में यमुना पार इलाके में मयूर विहार के फेज़ 1 में 110091 से होता हुआ गाज़ीपुर, मयूर विहार फेज़ 3 और वसुन्धरा एन्क्लेव में यह 110096 हो जाता है.


प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
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