Thursday, May 21, 2015

पहला ईमेल किसने भेजा और कब?

ईमेल इलेक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रुप है। दुनिया का पहला ई-मेल सन 1971 में अमेरिका के कैम्ब्रिज नामक स्थान पर रे टॉमलिंसन  नामक इंजीनियर ने उसी एक ही कमरे में रखे दो कम्पयूटरों के बीच भेजा। वे कम्प्यूटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे। अर्पानेट एक माने में इंटरनेट का पूर्वज है। यह संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का प्रयोग था। ईमेल को औपचारिक रूप लेने में कई साल लगे। अलबत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी वीए शिवा अय्यदुरई ने 1978 में एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया जिसे 'ईमेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स ऑप्शन थे। सन 1982 में अमेरिका के कॉपीराइट कार्यालय ने उन्हें इस आशय का प्रमाणपत्र भी दिया। इस कॉपीराइट के बावजूद उन्हें ईमेल का आविष्कारक नहीं कहा जा सकता।

@ की क्या महत्ता है? इसके बिना ई-मेल अधूरा क्यों है?
अंग्रेज़ी के ऍट या स्थान यानी लोकेशन का यह प्रतीक चिह्न है। शुरू में इसका इस्तेमाल गणित में ‘ऍट द रेट ऑफ’ यानी दर के लिए होता था। ई-मेल में इसके इस्तेमाल ने इसके अर्थ का विस्तार कर दिया। ई-मेल में पते के दो हिस्से होते हैं। एक होता है लोकल पार्ट जो @ के पहले होता है। इसमें अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फॉर इनफॉरमेशन इंटरचेंज (एएससीआईआई) के तहत परिभाषित अक्षर, संख्या या चिह्न शामिल हैं। चिह्न @ के बाद डोमेन का नाम लिखा जाता है। यानी इस चिह्न के पहले व्यक्ति या संस्था का नाम बताने वाले संकेत और उसके बाद डोमेन नाम। कुछ लोगों को लगता है कि इस पते को केवल लोअर केस में लिखा जा सकता है। इसे अपर और लोअर दोनों केस में लिख सकते हैं।

दुनिया में ऐसे कितने देश हैं जहां लोकतंत्र या डेमोक्रेसी नहीं है ?
घना, म्यांमार और वैटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सउदी अरब, जॉर्डन, मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, बहरीन, ओमान, कतर,स्वाज़ीलैंड वगैरह में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहाँ लोकतंत्र है। दुनिया के 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चालीस के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।

लोकतंत्र  व  गणतंत्र में  क्या  अंतर है ?
लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है। यानी हम जब भी फैसले करें तब यथेष्ट लोगों की सहमति हो। हालांकि यह अनिवार्य नहीं, पर व्यवहारिक बात है कि उसकी संवैधानिक व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब शासन पद्धति पर यह लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक होती है। इसमें हिस्सा लेने वाले या तो आमराय से फैसले करते हैं और यदि ऐसा न हो तो मत-विभाजन से करते हैं। ये निर्णय सामान्य बहुमत से और कई बार ज़रूरी होने पर विशेष बहुमत से भी होते हैं। मसलन कुछ परिस्थितियों में दो तिहाई मत से भी निर्णय किए जाते हैं।

गणतंत्र का अर्थ वह शासन पद्धति जहाँ राज्य प्रमुख का निर्वाचन सीधे जनता करे या जनता के प्रतिनिधि करें। यानी राष्ट्रप्रमुख वंशानुगत या तानाशाही तरीके से सत्ता पर कब्जा करके न आया हो। कुछ ऐसे देश भी हैं, जहाँ शासन पद्धति लोकतांत्रिक है, पर राष्ट्राध्यक्ष लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुना जाता। जैसे युनाइटेड किंगडम, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष सम्राट होता है, जिसके परिवार के सदस्य ही राष्ट्राध्यक्ष बनते हैं। वह लोकतंत्र है, गणतंत्र नहीं। भारत में लोकतांत्रिक सरकार है और राष्ट्रपति का चुनाव होता है इसलिए यह गणतंत्रात्मक व्यवस्था भी है।


दुनिया का सबसे बड़ा हाइवे कहाँ है? उसकी लम्बाई कितनी है?
ऑस्ट्रेलिया का हाइवे नम्बर वन दुनिया का सबसे लम्बा हाइवे माना जाता है। इसकी लम्बाई 14,500 किलोमीटर है। और यह इस महाद्वीप सागर तट से लगकर चलता है। यानी पूरे महाद्वीप का चक्कर लगाता है। भारत सरकार ने इसी प्रकार के एक राजमार्ग के निर्माण की योजना बनाई है जो देश की सीमाओं से होता हुआ पूरे देश का चक्कर लगाएगा। इसकी लम्बाई तकरीबन 5000 किलोमीटर होगी। इसे भारत माला नाम दिया गया है।

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

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